अडानी समूहको ५०० मेगावाट वाली अक्षय उर्जा परियोजना देने के लिए भारतिय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी नें दबाव देने की बात सार्वजनिक करने वाले श्रीलंका के एक अधिकारी नें अपने पद सें इस्तीफा दिया है ।
सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के अध्यक्ष एमएमसी फर्डिनेंडो ने अपने बयान को तेजी से वापस लेने के बावजदू इस विषय नें राजनीतिक विवाद पैदा किया था । भारतिय प्रधानमन्त्री मोदी के इशारे पर राष्ट्रपति गोताबाया राजपाक्षे श्रीलंका की सभी परियोजनाओं को भारत के हवाले करने का आरोप प्रतिपक्षी दलों ने लगाया है ।
फर्डिनेंडो ने शुक्रवार को एक संसदीय समिति के बैठक में प्रधानमन्त्री मोदी के दबाव पर राष्ट्रपति राजपक्षे ने उन्हें उत्तरी मन्नार जिले की अक्षय ऊर्जा परियोजना अडानी समूह को देने के लिए कहने की बात बताई थी । राष्ट्रपति राजपक्षे ने ट्विटर पर एक सन्देश जारी करते हुए फर्डिनेंडो की बात का खण्डन किया था ।
अदानी समूह ने श्रीलंका में पिछले एक साल में ये तीसरी बड़ी परियोजना में हाथ डाला है । समुह नें कोलंबो पोर्ट के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पश्चिमी कंटेनर टर्मिनल को विकसित करने और चलाने का अनुबंध जीता । इसमें समुहका ५१ प्रतिशत हिस्सेदारी रहेगी । समुह नें मार्च में देश के उत्तरी भाग में दो नवीकरणीय ऊर्जा बिजली परियोजनाओं के विकास के लिए सौदे किए ।
वित्तीय और राजनीतिक संकट से गुजर रहे देश में राजपक्षे सरकार नें भारतिय प्रधानमन्त्री मोदी के "दोस्तों" को "पिछले दरवाजे से प्रवेश" की अनुमति देने का आरोप विपक्ष नें लगाया है ।
देश में विदेशी मुद्राका भंडार खत्म हो चुका है । सरकार आवश्यक वस्तुओं के लिए भी भुगतान करने में असमर्थ होने के कारण देश में ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी हो गई है । इसी कमी के कारण भारत ने जनवरी के बाद से क्रेडिट लाइनों, मुद्रा स्वैप और अन्य उपायों के माध्यम से दक्षिणी पड़ोसी देश श्रीलंका को ३ अरब डॉलर की सहायता प्रदान कर चुकी है ।