नेपाल सें ३६४ मेगावाट बिजली भारत निर्यात होना शुरु हो गया है । बर्षात् के समय में नेपाल की नदीयों में पानी का तह बढते ही बिजली उत्पादन की मात्रा भी बढ जाती है । नेपाल के अन्दर उत्पादित बिजली का उपयोग नहोने के कारण पिछले साल ५०० मेगावाट बिजली व्यर्थ खर्च हो गया था ।
नेपाल विद्युत प्राधिकरण को अपने जलविद्युत आयोजना को बन्द कर निजी क्षेत्र सें उत्पादित बिजली का उपयोग करना पडा था । नेपाल और भारत सरकार बीच हुए सहमति के आधार पर नेपाल जेठ १९ तारिख (जुन २) से भारत को बिजली बेच रहा है ।
भारतीय उर्जा एक्सचेन्ज (आइएक्स) बजार में प्रतिस्पर्धी दरों में बिजली बीक रही है । भारत ने नेपाल के छह जलविद्युत् आयोजना सें उत्पादित बिजली खरिदने की सहमति नेपाल सें की है । प्राधिकरण स्वामित्व वाली त्रिशूली तथा देवीघाट ३७.७, कालीगण्डकी ए १४०, मध्य मर्स्याङदी ६८, मर्स्याङदी ६७, और निजी क्षेत्र सें उत्पादित ५१ मेगावाट बिजली दैनिक रुप सें भारत में बेची जा रही है ।
नेपाल विद्युत प्राधिकरण नें आनेवाले दिनों में नेपाल की और भी बिजली बेचने के लिए प्रयास करने की बात बताई है । प्राधिकरण शु्क्रवार को अधिकतम प्रति युनिट १९.२ रुपये (१२ भारु) और न्युनतम ३.९९८४ रुपैयाँ (२.४९९ भारु) में बिजली बेच रहा है । औसत मूल्य प्रति युनिट ११.४२ रुपयें (७.१४ भारु) है । भारत के केन्द्रीय विजली प्रणाली अन्तर्गत बिजली बजार (एक दिन पहिले ही) में बिजली बेची जाती है । नेपाल विद्युत् प्राधिकरण दैनिक सुबह १० बजे सें दोपहर १२ तक के समय में प्रतिस्पर्धा करता है ।
नेपाल में २ हजार ३०० मेगावाट बिजली उत्पादन करने की क्षमता है मगर दैनिक १ हजार ६३३ मेगावाट बिजली की ही माँग है । इस वित्तिय बर्ष में ६२१ मेगावाट बिजली और भी जोडा गया है । अगले वित्तिय बर्ष में ७०० मेगावाट बिजली जोडे जाने का अनुमान है ।
नेपाल सें भारत के तरफ बिजली का निर्यात बढने के साथ पश्चिम नेपाल सें बिजली आयात की जा रही है । पूर्वी क्षेत्र में उत्पादित बिजली पश्चिम क्षेत्र में भेजने के लिए प्रसारण लाइन नहोने के कारण पश्चिम नेपाल की बिजली की माँग पुरा करने के लिए टनकपुर सें बिजली आयात की जाती है । पश्चिम क्षेत्र में बडे जलविद्युत आयोजना नहोने के कारण ८७ मेगावाट बिजली आयात हो रही है ।।