हर साल वैशाख शुक्ल नवमी के दिन मनाई जाने वाली सीता की उत्पत्ति दिवस आज भक्ति-पूजन के साथ मनाई जा रही है। अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र राम के रुप में भगवान विष्णु ने अपने छठे अवतार के रूप में जन्म लेने के बाद देवी लक्ष्मी सीता के रुप में धरती पर आने के बारेमें विश्वास किया जाता है ।
सीता को सत्यवती, पतिव्रता और आदर्श नारी के रूप में सम्मानित किया जाता है। अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र राम से विवाह करने के बाद, सीता अपने पिता की आज्ञा मानने के लिए राम के साथ वनवास चली गईं थी । सीता को आदर्श महिला के रूप में समेत याद किया जाता है। धर्मशास्त्री तथा पञ्चाङ्ग निर्णायक समिति के पूर्व अध्यक्ष प्रा डा रामचन्द्र गौतम के अनुसार, सीता ने अयोध्या छोड़ने के बाद भी अपने मन, वचन और कर्म से अपने पति राम के प्रति समर्पित रह कर सभी महिलाओ को सम्मानित करने की बात बताती हैं ।
धर्मशास्त्री गौतम के अनुसार लंका के राजा रावण से अपहरण के बाद भी सीता अपने मन, वचन और कर्म से अपने पति राम के प्रति समर्पित रहीं । रावण और अन्य राक्षसों को हराकर अयोध्या लौटने के बाद, सीता को एक आदर्श महिला के रूप में याद किया जाता है क्योंकि वह रानी के पद से इस्तीफा देकर गर्भवती होने के बावजूद निर्वासन में चली गईं ताकि राजा राम को बदनामी के कारण काम करने में असुविधा न हो। वन में रहते हुए भी लव और कुश दो पुत्रों को वाल्मिकी आश्रम मे जन्म देने के साथ शिक्षा देने के काम किया ।
अयोध्या आए दोनो पुत्रों लव और कुश ने रामायण की कथा सुनाते हुए किस तरह निर्दोष रहते हुए भी सीता को वन में रहना पड़ा बताया । यह सुनकर लोगों की माग के अनुसार सीता को ऋषि वाल्मीकि के साथ दरबार में बुलाया गया । लोगों ने सीता के महल में आने का स्वागत किया, लेकिन उनमें से कुछ लोगों ने फिर भि सीता की पवित्रता पर सवाल उठाए। इस पर सीता नें धरती माता को आह्वान कर पवित्र होने पर धरती में समा लेने की बात की । रामायण समेत कई शास्त्रों में सीता धरती के गर्भ में उनके गायब होने का जिक्र है। इस प्रकार मिट्टी से उत्पन्न सीता मिट्टी में विलीन हो गईं ।
सीता की उत्पत्ति के इस दिन को देश भर के रामजानकी मंदिरों में विशेष पूजा के साथ सीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। इसी तरह जनकपुर के रामजानकी मंदिर में विशेष पूजा के साथ मेला समेत लगता है। नेपाल में सीता माता को राष्ट्रिय नायक (विभूति) के रुप में मान्यता दिया गया है ।।